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Japan is No Longer The World's 3rd Largest EconomyJapan is No Longer The World's 3rd Largest Economy

Japan is No Longer The World’s 3rd Largest Economy

जापान अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रहा है. गुरुवार को जारी हुए आंकड़ों में उसका सालों पुराना यह स्थान छिन गया.

Japan is No Longer The World's 3rd Largest Economy
Japan is No Longer The World’s 3rd Largest Economy

जापान को पीछे छोड़कर जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. गुरुवार को जारी आंकड़ों केमुताबिक जापान अब चौथे स्थान पर आ गया है.विश्लेषकों का कहना है कि ये आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि जापान की अर्थव्यवस्था लगातार अपनी उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता खोती जा रही है. वहां की आबादी लगातार घट रही है. वहां कम बच्चे पैदा हो रहे हैं और आबादी की औसत उम्र भी बढ़ रही है.हालाँकि, जापान का चौथे स्थान पर खिसकना पहले से ही अनुमानित था। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पहले ही इसका अनुमान व्यक्त कर दिया था. 2010 तक JAPAN USA के बाद दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 2010 में यह तीसरे स्थान पर खिसक गया क्योंकि CHIN की अर्थव्यवस्था ने इसे पीछे छोड़ दिया।

Japan is No Longer The World’s 3rd Largest Economy

Germany 3rd LARGEST ECONONY
Germany 3rd Largest Economy

JAPAN, जो पहले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, अब चौथे स्थान पर है। जर्मनी ने अपनी जीडीपी को बढ़ाकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना लिया है . जापान की वास्तविक जीडीपी पिछले साल कुल 4.2 trillion डॉलर या लगभग 591,000 अरब येन थी, जबकि जर्मनी ने पिछले महीने जीडीपी (based on currency conversion) 4.4 trillion डॉलर या 45,000 अरब यूएस डॉलर होने की घोषणा की थी . यह आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि जापान की अर्थव्यवस्था लगातार अपनी उत्पादकता और प्रतिद्वन्द्विता को खोती जा रही है। जापान की आबादी लगातार कम हो रही है, और वहां बच्चे कम पैदा हो रहे हैं, जिससे आबादी की औसत उम्र भी बढ़ रही है . वैसे, जर्मनी ने अपनी अर्थव्यवस्था को छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों पर खड़ा किया है, जिनकी उत्पादकता मजबूत रही . जर्मनी को यूरो की मजबूती का भी फायदा हुआ, जबकि जापान की मुद्रा येन कमजोर होती गई है .

Japan is No Longer The World’s 3rd Largest Economy

Challenges

Kyoto University में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर Teshuji Okazaki कहते हैं कि ताजा आंकड़े जापान की नई वास्तविकताओं की भी एक झलक है जो दिखाता है एक देश के तौर पर जापान कमजोर हुआ है और इसका असर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच उसके कद पर भी पड़ेगा।

प्रोफेसर तेशुजी कहते हैं, “मिसाल के लिए कई साल पहले जापान अपने ताकतवर ऑटो सेक्टर का दंभ भरता था। लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल के उभरने से उसकी यह ताकत कमजोर हुई है। ओकाजाकी कहते हैं कि विकसित और विकासशील देशों के बीच का अंतर भी कम हो रहा है और अगले कुछ साल में भारत का जापान से आगे निकलना तय है।

जापान की एक बड़ी समस्या बूढ़ी होती आबादी है जिसके कारण कामगारों की कमी हो गई है। इसे हल करने का एक तरीका आप्रवासियों को बुलाना है लेकिन विदेशी कामगारों को लेकर जापान का रवैया सख्त रहा है। हालांकि इस वजह से उसकी आलोचना भी होती रही है कि वहां विविधता नहीं है और आमतौर पर रवैया भेदभावपूर्ण है।

दूसरा विकल्प रोबोट्स का इस्तेमाल है जो इंसानों की जगह ले सकते हैं लेकिन यह विकास इतनी तेजी से नहीं हो पाया है कि लेबर की किल्लत को जल्द दूर कर पाए।

Fall From Throne

ऐतिहासिक रूप से, जापान को ‘आर्थिक चमत्कार’ कहा जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पूरी तरह बर्बाद होने के बाद जापान ने जिस तरह अपने आपको खड़ा किया और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक पहुंचा, वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। 1970 और 1980 के दशक जापान का समय था जब टीवी से लेकर कारों तक उसके सामान का दुनिया के सभी बाजारों पर राज था। लेकिन पिछले कुछ सालों में उसकी बड़ी-बड़ी कंपनियां कमजोर होती चली गई हैं। तोशिबा जैसी कंपनी का फर्श से अर्श पर पहुंच जाना जापान की बड़ी तस्वीर की एक झलक है। इसके पीछे Soichiro Honda और Kōnosuke Matsushita जैसे उद्यमियों की भी मेहनत रही जिन्होंने HONDAऔर PANASONICजैसे मशहूर और लोकप्रिय ब्रांड स्थापित किए। गरीबी से उठे ऐसे उद्यमियों की बदौलत एक वक्त ऐसा था जब MADE IN JAPAN को गुणवत्ता की गारंटी कहा जाता था। ओकाजाकी कहते हैं कि अब वे दिन बीती बात हो चुके हैं। वह कहते हैं, “अगले दो दशकों की ओर देखें तो जापान के लिए रोशनी की किरणें ज्यादा नजर नहीं आ रही हैं।”

List of countries by GDP (nominal) – Wikipedia

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