White paper Expose Congress
श्वेतपत्र का अर्थ होता है “White paper”। यह एक गोपनीय दस्तावेज है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के खिलाफ(2024) जारी किया गया । इसमें कांग्रेस पार्टी के नेताओं के नाम, उनके कार्यक्षेत्र, और उनके नेतृत्व में किए गए घातक निर्णयों की जानकारी दी गई थी।
what’s inside the white paper
श्वेत पत्र (व्हाइट पेपर) में आपको भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी मिलेगी। यह दस्तावेज़ आंकड़ों, चार्टों, आरोपों और दावों के साथ बनाया गया है
- विनाशकाल (2004 से 2014): यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) सरकार के दौरान आर्थिक क्षेत्र में प्रदर्शन।
- अमृतकाल (2014 से 2023): नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) सरकार के दौरान की बातें।
यह दस्तावेज़ आपको भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास योजनाओं और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
श्वेतपत्र के जरिए कांग्रेस पार्टी के विभिन्न घातक कार्यों की खुलासा की गई थी, जिससे लोगों को उनके नेताओं के निर्णयों के प्रति जागरूक किया जा सकता है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एक महत्वपूर्ण राजनैतिक पार्टी है। इसकी स्थापना 1885 में हुई थी और यह ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध एक मॉडर्न राष्ट्रवादी आंदोलन था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में यह कांग्रेस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख शक्ति बन गई और ब्रिटिश साम्राज्य में अन्य एंटी-कोलोनियल राष्ट्रवादी आंदोलनों पर भी गहरा प्रभाव डाला।
कांग्रेस भारतीय राजनीति के केंद्र में स्थित होने के बावजूद एक “बड़ा तम्बू” पार्टी है जिसका प्लेटफ़ॉर्म आमतौर पर भारतीय राजनीति के केंद्र में माना जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो कांग्रेस पार्टी के नेताओं के निर्णयों की जानकारी देने के लिए जारी किया .
White paper Expose Congress
“वाणिज्यिक (White Paper)” के रूप में विभिन्न वर्षों में UPA और NDA के बीच विभिन्न पैरामीटरों की तुलना की गई है।
White paper Expose Congress
1 /2 /2024 को जब वित्त मंत्री नीलम सीतारमण की ओर से भारत का अंतरिम बजट पेश किया गया था तो उसके दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि भारत सरकार जल्द ही एक व्हाइट पेपर भी पेश करने वाली है तो अब ये जो व्हाइट पेपर की घोषणा की गई थी ये व्हाइट पेपर सरकार की ओर से पेश कर दिया गया है
इसी पूरे विषय पर विस्तार से बात करने की कोशीश करेंगे।
उसका भी एनालिसिस करने की कोशीश करेंगे और अंत में एक प्रश्न पर भी बात होगी।
इसके अलावा जो पूरा टॉपिक है ये आपका जी एस पेपर थ्री से जुड़ा हुआ है और आप इसे इंडियन इकॉनमी के सेगमेंट से जोड़ करके देख सकते हैं.
व्हाइट पेपर आखिर होता क्या है तो व्हाइट पेपर की अगर आप बात करें तो व्हाइट पेपर को आप एक डॉक्यूमेंट के तौर पर देख सकते हैं एक दस्तावेज के तौर पर देख सकते हैं जिसमें किसी एक स्पेसिफिक टॉपिक पर किसी एक पूर्व निर्धारित टॉपिक के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है
तो जो व्हाइट पेपर होता है वो किसी भी व्यक्ति द्वारा लाया जा सकता है, कोई आपका संस्थान से जारी कर सकता है, कोई इन्स्टिट्यूशन इसे जारी कर सकता है, कोई एजेंसी जारी कर सकती है और भारत सरकार भी या फिर कोई भी गवर्नमेंट व्हाइट पेपर जारी कर सकती है अब अगर सरकार व्हाइट पेपर जारी करती है तो इसका क्या मतलब होता है, इसका क्या निहितार्थ होते है, तो सरकार किसी टॉपिक पर व्हाइट पेपर जारी करती है उदाहरण के लिए आप मान लीजिए ब्लैक मनी पर व्हाइट पेपर जारी करती है तो यहाँ पे क्या होगा इसका प्राथमिक लक्ष्य होगा कि सरकार ब्लैक मनी को लेकर के लोगों को
जागरूक करना चाहती है सरकार ब्लैक मनी की जो समस्या है उसके बारे में लोगों को बताना चाहती है
और उस समस्या से निपटने के लिए हम किस तरह के उपाय अपना सकते हैं, इसको लेकर भी सरकार चर्चा करना चाहती है तो इसी की वजह से इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से व्हाइट पेपर जारी किया जाता है तो ये तो हमने बात की कि आखिर व्हाइट पेपर होता क्या है अब हम बात करते हैं कि सरकार व्हाइट पेपर लेकर क्यों आई है, उसके क्या कारण है
White paper Expose Congress
तो अगर आप व्हाइट पेपर की टेक्स्ट बुक डेफिनिशन पे जाएंगे तो हमने बात की थी कि जो व्हाइट पेपर होता है तो श्वेत पत्र है वो बेसिक्ली एक टॉपिक पर जारी किया जाता है ऐसे में आप कह सकते हैं कि सरकार जो हालिया डॉक्यूमेंट लेकर के आई है वो असल में व्हाइट पेपर है ही नहीं क्योंकि उसमें किसी एक टॉपिक पर चर्चा नहीं की गई है बल्कि उसमें बेसिक्ली आपका दो सरकारों के जो कार्यकाल रहे हैं उनकी तुलना की गई है लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी से व्हाइट पेपर बोल रही है तो हम भी इसे व्हाइट पेपर के तौर पर एक्सेप्ट कर लेंगे
इसके अलावा कौन कौन सी दो सरकारों के कार्यकाल की चर्चा हुई है तो इसमें आपका सबसे पहले तो यु पी गवर्नमेंट का जो कार्यकाल था, जो आपका दो हज़ार चार से दो हज़ार चौदह के बीच में चला, यानी के दस साल का कार्यकाल था और यही एन डी ए गवर्नमेंट का जो दस साल का कार्यकाल रहा 2014 से 2024 के बीच में तो इन दोनों कार्यकाल के जो है आपको तुलना देखने को मिलेगी इस पूरे डॉक्यूमेंट में अब इस डॉक्यूमेंट के उद्देश्य क्या है एक बार उन पर बात करें कि सरकार क्यों और क्या ऑब्जेक्टिव के साथ लेकर के आई है तो इसका पहला उद्देश्य है कि दो हज़ार चौदह में जब सरकार ने सत्ता संभाली थी तो उस समय शासन की प्रवृत्ति कैसी थी नेचर किस तरह का था, गवर्नेंस कैसा था इसके अलावा कौन कौन सी लिमिटेशंस मौजूद थी आपकी आर्थिक क्षेत्र को लेकर के आपके फिस्कल सेक्टर को लेकर के कौन कौन से संकट आपके सामने मौजूद थे तो ये पहला उद्देश्य था इसका दूसरा उद्देश्य था कि 2014 के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था को बहाल करने में अर्थव्यवस्था में सुधार करने में सरकार ने क्या क्या प्रयास किए हैं
उन प्रयास को जनता के सामने पेश किया जाए इसके अलावा शासन के मामले में राष्ट्रीय हित और राजकोषीय जो रिस्पांसिबिलिटी होती है, फिजिकल रिस्पांसिबिलिटी उसको सर्वोपरि मानते हुए उसके बारे में बहस को बढ़ावा दिया जा सके इसके अलावा राष्ट्रीय विकास के लिए खुद को प्रतिबंध किया जा सके ये चार उद्देश्य है जिनको ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये व्हाइट पेपर पेश किया है.
White paper Expose Congress Compare NDA vs UPA
डॉक्यूमेंट में आपको किस तरह का एनालिसिस देखने को मिलेगा तो हमने पहले ही बात की कि इस पूरे डॉक्यूमेंट में खासतौर पर भारत में पिछले दो दशक में जो दो सरकारी रही है उन सरकारों का कार्यकाल किस तरह का रहा है इसको यहाँ पर इसको जानने की कोशीश की गई है
उनके कार्यकाल की खास तौर पर इकोनॉमिक सेक्टर को लेकर के माइक्रोनामिक इंडेकेटर माइक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर इन क्षेत्रों में इन तमाम इंडिकेटर में उन दोनों सरकारों ने कैसा काम किया है उसको एनालाइज करने की कोशीश की गई है
उदाहरण के लिए अगर आप देखेंगे जैसा कि डेटा बताता है कि UPA का जो अंतिम कार्यकाल था यानी कि 2009 से 2013 के कार्यकाल को अगर आप देखेंगे तो उसमें आपका जो इन्फ्लेशन रेट था वो बहुत ज्यादा था जबकि अगर आप NDA के कार्यकाल के शुरुआती दौर को देखेंगे तो वहाँ पर जो इन्फ्लेशन रेट था वो बहुत ज्यादा कम था और इस बात को पूरे डॉक्यूमेंट में रेखांकित किया गया है.
लेकिन अगर आप इसके पीछे के कारणों पर बात करेंगे तो वो बहुत ज्यादा दिलचस्प हो जाते हैं इसके पीछे का जो कारण था वो इंटरनल के बजाय एक्सटर्नल कारण था क्योंकि अगर आप देखेंगे तो दो हज़ार बारह से दो हज़ार चौदह के बीच में जो तेल के दाम थे वो बहुत ज्यादा बड़े हुए थे जैसे अगर आप तेल के दाम देखें तो तेल का जो प्राइस था वो तकरीबन 111 से १०५ डॉलर प्रति बैरल के आसपास तक पहुँच गया था
यानी एक बैरल खरीदने के लिए सौ से ज्यादा ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे थे तो अब अगर आप वहीं इसका कंपॅरिज़न 2014 के बाद की अवधि से करेंगे तो 2015 में अगर आप देखेंगे तो एक बैरल का जो प्राइस था, वो 84 डॉलर के आसपास आ गया था वही दो हज़ार सोलह में अगर आप देखेंगे तो एक बैरल का प्राइस जो था, वो 46 डॉलर के आस पास आ गया था तो यहाँ पर अगर आप देखेंगे तो एक्सटर्नल जो आपके जो एक्सटर्नल फॅक्टर्स हैं जो कारक हैं वो ज्यादा इम्पोर्टेन्ट रोल यहाँ पर प्ले कर रहे हैं.
इसके अलावा अगर आप और ज्यादा डेटा की बात करें तो डेटा ये बताता है कि आपका जो UPA का कार्यकाल था वहाँ पर GDP वृद्धि के साथ साथ आपको राजकोषीय घाटा भी कम देखने को मिला था लेकिन एक तरफ तो आपकी TOP की वृद्धि दर थी, यु पी ए के कार्यकाल में वही दूसरी तरफ आपका जो फिजिकल डेफिसिट था वो भी बहुत ज्यादा मैनेज किया गया था
White paper Expose Congress
इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते हैं कि UPA के कार्यकाल में आपको बहुत ज्यादा फाइनैंशल मिसमैनेजमेंट देखने को मिला था बहुत ज्यादा scam देखने को मिले थे जैसे कि आपका 2G scam हो गया इसके अलावा coal scam गया तो इस तरह की बहुत सारे स्कैम आपको इस पूरे कार्यकाल में देखने को मिले थे इसके अलावा जब NDA के कार्यकाल की बात करते हैं तो वहाँ पर भी आपको बहुत सारी अच्छी चीजें देखने को मिली हैं
जैसे कि NDA की सरकार की ओर से GST पूरा सिस्टम पेश किया गया है गुड्स इन सर्विसेज प्रणाली इसकी वजह से हमारा जो इनडैरेक्ट टैक्स सिस्टम है बहुत ज्यादा सरल हो गया है, तो अब इसकी वजह से हमारा रेवइन्यू भी बढ़ रहा है.बिसिनेसेस में समस्या सुलझाने की जो प्रक्रिया है वो बहुत ज्यादा आसान हो गई है तो ये बेहतर चीजें हमें यहाँ पर देखने को मिली हैं
GDP growth UPA vs NDA
लेकिन दूसरी तरफ जो डॉक्यूमेंट बात नहीं बताता है वो ये है कि आपका जो बेरोजगारी दर रही है वो NDA के कार्यकाल में ज्यादा रही है जिससे अगर आप 2018 के डेटा को देखेंगे तो डेटा ये बताता है कि एन डी ए के कार्यकाल में जो बेरोजगारी दर्ज की वो 45 वर्ष के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुँच गई थी यानी कि हम यहाँ पर निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि
हर एक जो सरकार है उस सरकार की कुछ अच्छी बातें भी मौजूद हैं उस सरकार की कुछ खराब बातें भी मौजूद हैं तो हमें दोनों ही चीजों का दोनों ही पक्षों का विस्तार से विश्लेषण करने की जरूरत है और ये जो पूरा डेटा है जो पूरा एनालिसिस है, केवल पिछले बीस सालों का है लेकिन भारत को आजाद हुए बीस से ज्यादा साल हो गए सत्तर पचहत्तर साल हो गए हैं.
आपको भारत की अर्थव्यवस्था का आकलन करना है तो आपको शुरुआत से आकलन करना शुरू करना होगा क्योंकि हमारी नींव वहाँ पर मौजूद है चाहे आप कितनी भी बड़ी बिल्डिंग बना ले, जब तक कि आपकी नींव मजबूत नहीं होगी तब तक आपकी जो बिल्डिंग है उसको आप नहीं कहेंगे कि ये बहुत मजबूत बिल्डिंग के तौर पर काम करेगी तो इसी वजह से आपको सब चीजों को एनालाइज करना सीखना पड़ेगा।